पुस्तक समीक्षा - 7

  • 13.1k
  • 1
  • 2.7k

अब तक छप्पन लेखकः यशवन्त व्यास प्रकाशकः भारतीय ज्ञानपीठ, नई दिल्ली मूल्यः 190 रु. पृप्ठः 252 युवा और प्रतिप्ठित व्यंग्यकार यशवन्त व्यास के नये पुराने छप्पन व्यंग्यों का यह संकलन पढ़कर लगा कि व्यंग्य की सार्थकता निरन्तर प्रमाणित हो रही है। सम्पादन, पत्रकारिता, इन्टरनेट एवं साहित्य की गहरी समझ के कारण ये व्यंग्य-रचनाए अन्दर तक प्रभावित करती है। इस संग्रह से पूर्व यशवन्त व्यास की ‘जो सहमत हैं सुनें’ तथा व्यंग्य उपन्यास ‘चिन्ताधार’ भी पढ़ा था। उस पुस्तक में ‘जो सहमत है सुनें’ की भी कुछ रचनाए संकलित हैं। वास्तव में व्यंग्य की रचना प्रक्रिया के दौरान अकसर लेखक अपने