रौशनी के अंकुर- सविता मिश्रा

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बिना किसी खर्चे के किताबों को पढ़ने और उन्हें प्रोत्साहित करने का एक आसान तरीका, उनकी आपस में दूसरों के साथ अदला बदली भी है। इस तरीके से आप अपने सीमित बजट में भी ढेर सारी किताबों को पढ़ कर उनका आंनद ले सकते हैं। इस बार के पुस्तक मेले में जब मेरी मुलाकात सविता मिश्रा 'अक्षजा' जी से हुई तो बातों ही बातों में मैंने उन्हें अपनी किताब "फ़ैलसूफियां" के बारे में बताया तो उन्होंने कहा कि उनकी भी एक लघु कथाओं की एक किताब आ चुकी है। एक दूसरे की किताब को खरीदने के बजाय हमने सोचा कि