कुबेर डॉ. हंसा दीप 8 आज दीवाली की रात है और ढाबे पर कई तरह की मिठाइयाँ बनी हैं। गुलाबजामुन, रसमलाई, चमचम, काजू-कतली, खोपरापाक और मोतीचूर के लड्डू। ढाबा बंद करके सब बच्चे मालिक के घर जाएँगे पटाखों के लिए। सबको नये कपड़े पहनने थे। दिन भर की मिठाइयों की ख़ुशबू, इलायची की ख़ुशबू, केसर की ख़ुशबू पूरे माहौल में फैली हुई थी। जल्दी ही सबको भरपेट मिठाइयाँ खाने को मिलेंगी। जितनी मिठाई खाना है खाओ, जितने पटाखे जलाने हैं जलाओ। रौशनी भी बहुत की गयी है ढाबे पर। रंग-बिरंगे बल्बों की जलने-बूझने की निरंतर प्रक्रिया कुछ नया महसूस करवा