दरमियाना भाग - ३ कहने को कहा जा सकता है कि विष भी वहीं वास करता है, जहां विश्वास होता है... और जब धीरे-धीरे सारा विश्वास ही विषाक्त हो जाता है, तब जैसे अचानक बहुत परिचित-से चेहरे भी नीले पड़ने लगते हैं...गंदला जाते हैं। बहुत देर के बाद हम जान पाते हैं कि परिचय था ही कहाँ ? क्योंकि पहचानना एक बात है, जानना दूसरी बात! कोई महीने-भर बाद साथी लोगों का मूड़ बना कि शराब पी जाए, मगर पैसे किसी के भी पास नहीं थे। बहुत सोचने पर भी जब कुछ नहीं सूझा, तो एक साथी ने सुझाया कि