दरमियाना - 2

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दरमियाना भाग - २ रास्ते-भर वे चुहलबाजी करते रहे। एक-दूसरे को छेड़ते, गाते, टल्लियां-तालियां खड़खाते, वे मस्ती में चल रहे थे। उनके साथ का मर्दनुमा दरमियाना, ढोलक पर थाप देकर अलाप उठा रहा था। मैं भी साथ-साथ चलते हुए गर्व अनुभव कर रहा था कि जब बस्ती का कोई भी व्यक्ति उनके समीप नहीं आ पाता, तब मैं कितना सहज रूप से तारा का हाथ पकड़ कर चल सकता हूं। अन्य लोग, जो मुझे हास्य या घृणा की दृष्टि से देख रहे थे, उस समय ईष्यालु नज़र आये थे। तारा ने फिर मेरे कंधे पर हाथ रखा और पूछ लिया,