दरमियाना भाग - १ तारा और रेशमा की संगत मैं उसे तब से जानता हूं, जब मैंने उसे पहली बार देखा था। उसके दोनों हाथों की हथेलियों के मध्य भाग, बहुत ही कलात्मक ढंग से टकरा रहे थे, यद्यपि ढोलक की थाप और फटे हुए स्वरों में, उसकी तालियों की कहीं कोई संगत नहीं थी। किन्तु हां! अन्य कर्कश स्वरों में, उसका स्वर सबसे अधिक तीखा और एकरस था -- गीत के आरोह-अवरोह की प्रति़बद्धता से दूर--शास्त्रीय गायन की वर्जनाओं से मुक्त--फटे हुए स्वर और बिगड़ी हुई धुनों में, एक फिल्मी गीत ! 'गीत' अब ठीक-ठीक याद नही है। मैंने