"मैडम...! लीजिए मिठाई खाइए" मेरे सामने नसरीन खड़ी थी.. गर्वित चेहरे पर आत्मविश्वास की चमक लिए.."अरे बेटा..तुम! आओ कैसी हो? कहाँ हो आजकल?" उसे इतना खुश देखकर मैं पाँच साल पीछे चली गई।अपने हाथ की हरी चूड़ियों को दिखाती हुई नसरीन बेतहाशा रो रही थी। दो दिन पहले रिश्ता पक्का हुआ और आज उसका मंगेतर किसी अन्य लड़की के साथ भाग गया था.. पहली बार किसी लड़के के घर से भागने की बात सुनी थी, उसे समझाया कि अच्छा है पहले भाग गया, निकाह हो जाता तो क्या करती.. वह समाज के उस पिछड़े वर्ग से आई थी जहाँ लड़कियाँ