सनातन नीलम कुलश्रेष्ठ तब गाँधी जी के बंदरों की लोग अक्सर चर्चा करते थे, किस तरह वे सन्देश देतें हैं -`बुरा मत देखो `,बुरा मत सुनो `,बुरा मत कहो `. तब भी कौन सब ये बात मानते ही थे ? अब वह उम्र के आखिरी पड़ाव पर तेज़ी से बदल गए ज़माने में आ बैठी है. एक कोर्पोरेट की वरिष्ठ प्रबंधक के घर के मुख्य कमरे में रक्खे हैं तीन बन्दर - एक का एक हाथ आँख पर रक्खा उसे झांकने दे रहा है, दूसरे का हाथ एक कान से हटा कुछ सुनने दे रहा है, तीसरे का हाथ होठों से कुछ हटा हुआ है. मतलब `कुछ बुरा भी देखो `,`कुछ बुरा भी सुनो `,`कुछ बुरा भी कहो ` तभी इस भूमंडलीकरण में जी पायोगे. तो नयी बनी इमारतों में शाम को नीचे चार पांच वर्ष तक के बच्चे खेलते रहते हैं. थोड़ी रात होते ही कसे चूड़ीदार या जींस के ऊपर पहने ढीले ढाले टॉप में उदर के हलके उभार में