’कौशल्या, जाओ रानी तुम देख के आओ तो बड़की दुलहिन काय नईं आईं अबै लौ.’ छोटी काकी अब चिन्तित दिखाई दीं. हांलांकि नहीं आने का कारण सब समझ रहे थे, फिर भी उन्हें आना तो चाहिये था न! रमा ने चाय का पतीला दोबारा चूल्हे पे चढा दिया, गर्म करने के लिये. एक तो वैसे ही चूल्हे की चाय, उस पर बार-बार गरम हो तो चाय की जगह काढ़े का स्वाद आने लगता है. रमा पतीला नीचे उतारे, उसके पहले ही सामने की अटारी से कौशल्या बदहवास सी, एक सांस में सामने की अटारी की सीढ़ियां उतरती, और रसोई की