इस दश्‍त में एक शहर था - 19

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इस दश्‍त में एक शहर था अमिताभ मिश्र (19) यह जो महानगर की शकल लेता ये शहर है यह दरअसल मूलतः एक कसबा था और फिर जिस सुलकाखेड़ी गांव के पीलियाखाल के किनारे का किस्सा जो हम कह रहे हैं ये तो ठेठ देहात में ही रहे और रहते भी उसी अंदाज में। वे सब मरद अगर घर में हैं तो चड्ढी बनियान या कहें घुटन्ना और बंडी में ही मिलेंगे। निपटान के लिए पीछे पड़ी जंगल की जमीन में ही जाते रहे जहां यदि नाले चल रहे होते तो लोटों की भी जरूरत भी नहीं रहती और हां अकार