जी-मेल एक्सप्रेस अलका सिन्हा 2 - बीते लम्हों की यादें अन्यमनस्क-सा दिन बीता और रात सुबह के इंतजार में गुजर गई। नींद के झोंके भी स्कूल के दिनों में लिए जाते रहे। देखता रहा, बड़ा-सा वह चबूतरा, जहां प्रार्थना हुआ करती थी। नूपुर प्रार्थना कराने वाली टीम के साथ मंच पर खड़ी होती। उसकी यूनिफॉर्म हमेशा साफ और तरीके से प्रेस की हुई होती। स्कर्ट की बाईं ओर एक साफ सफेद रूमाल टंगा रहता। वह कभी उस रूमाल का इस्तेमाल करती हो, ऐसा मालूम नहीं पड़ता। वह वैसे ही स्कर्ट के साथ लगा रहता जैसे उसे साथ में सिल दिया