चिरइ चुरमुन और चीनू दीदी - 3

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चिरइ चुरमुन और चीनू दीदी (कहानी पंकज सुबीर) (3) अपने बहुत सारे अनसुलझे सवालों के साथ ही हम बड़े हो रहे थे । इन सबमें ही उलझते उलझाते हम सबने मिडिल पास कर लिया था । अब हमारा स्कूल भी बदल गया था । इस बीच हम भी बहुत बदल गये थे । हम सबकी देह में कल्ले फूट रहे थे । मगर मन से हम अभी भी वही थे चिरइ चुरमुन। नये स्कूल में नये नये साथी मिले । बहुत से बच्चे गाँव के भी हमारी कक्षा में थे, जो गाँव के मिडिल स्कूल से मिडिल पास करके आगे