कशिश सीमा असीम (21) अच्छा जी,सुना है कि आत्मकथा में एक एक शब्द सच होता है ! हाँ ! क्या आप अपनी आत्मकथा में मुझे भी लिखेंगे ! नहीं बस तुमको छोडकर सब ज्यों का त्यों लिख दूंगा ! लेकिन मुझे क्यों नहीं लिखेंगे ? क्योंकि मैं तुमसे प्रेम करता हूँ और हम जिसे प्रेम करते हैं उसे जमाने से छिपा कर रखते हैं ! हम्म ! और तुमने मुझ पर विश्वास किया है तो तुम्हारे विश्वास को कैसे तोड़ सकता हूँ ! नहीं, मैं कभी नहीं तोड़ सकता जिस दिन तोड़ दिया उस दिन तेरा गुनहगार बन जाऊंगा !