कौन दिलों की जाने! - 36

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कौन दिलों की जाने! छत्तीस 28 नवम्बर रानी अभी नींद में ही थी कि उसके मोबाइल की घंटी बजी। रानी ने फोन ऑन किया। उधर से आवाज़़ आई — ‘रानी लगता है, सपनों में खोई हुई थी! कितनी देर से रिंग जा रही थी?' ‘सॉरी आलोक जी, रात को काफी देर तक पढ़ती रही। इसलिये सपनों में नहीं, गहरी नींद में थी।' ‘यह तो बड़ी अच्छी बात है कि तुम गहरी नींद में थी। पूरी और गहरी नींद भी मनुष्य के लिये अति आवश्यक है। इससे शरीर स्वस्थ रहता है। याद है तुम्हें, आज मैंने इतनी सुबह क्योंकर फोन किया