कौन दिलों की जाने! इकतीस रानी के बठिण्डा जाने के पश्चात् रात को रमेश ने घर आकर रानी का बनाया हुआ खाना खाया। खाना खाने के बाद जब सोने लगा तो उसके मस्तिष्क में तरह—तरह के परस्पर विरोधी विचार कौंधने लगे। उसे लगा, उसके अन्तर्मन में विचारों का भूकम्प—सा आ गया हो जैसे। एक विचार यह आया कि मेरे इतने कठोर रुख व निष्ठुर व्यवहार होने के बावजूद रानी को मेरी कितनी चिंता है। नाश्ता और लंच तो बनाया ही, रात के लिये भी खाना बनाकर रख कर गयी है। उसका इतवार को बठिण्डा आने के लिये कहना तथा वापस