ए मौसम की बारिश - ७

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पीछे आ रही माही को किसीने वही से धका देकर नीचे की ओर फेंका.. 'ज...जय..' उसकी दर्दनाक चींख मेरे कानो पर पड़ी ओर में कुछ समझ पावु उससे पहले ही वो सीढियो से फिसलते हुवे नीचे पहोच गई। में फ़ौरन उसकी ओर भागा। नीचे जाकर देखा तो उसके सर से काफी खून निकल चुका था। उसकी बंध हो रही आंखे मुझे देख रही थी। 'माही माही तुम्हे कुछ नही होगा.. माही.. माही आंखे खोलो माही..' उसने ऊपर की सीढियो की ओर हाथ से इशारा किया.. मेने उस ओर देखा तो वहां कोई नही था।