बहीखाता आत्मकथा : देविन्दर कौर अनुवाद : सुभाष नीरव 11 छात्राओं जैसी लेक्चरर मैं मैत्रेयी कालेज में लेक्चरर लग गई। अपनी आयु की लड़कियों को और कई अपने से भी बड़ी आयु की लड़कियों को पढ़ाने लग पड़ी। मेरा कोई अनुभव तो था नहीं, पर मैंने अपने अध्यापकों को पढ़ाते हुए देखा था। उन्हें ऑब्जर्व करती रही थी। यह ऑब्जर्वेशन मेरे काम आने लगी। यह मेरे लिए अनुभव भी था और चुनौती भी। कई बार मैं सोचती कि कहाँ आ फंसी हूँ। शायद यह काम मेरे वश का नहीं। मेरा सपना तो छोटे बच्चों को पढ़ाने का था, अपने हमउम्र