कौन दिलों की जाने! - 24

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कौन दिलों की जाने! चौबीस रविवार की छुट्‌टी होने के कारण ड्राईवर तो आया नहीं था। रात को आये झक्कड़ व बारिश के कारण कार साफ करनी जरूरी थी, अतः रमेश ने लच्छमी से कार साफ करने के लिये कहा। रविवार को नाश्ता व लंच अलग—अलग न बनता था, वरन्‌ दोनों का मिश्रण ब्रंच ही बनता था, अतः आज भी रानी ने ब्रंच तैयार किया और टेबल पर लगा दिया। रमेश ने तैयार होकर ब्रंच किया और घड़ी देखी। ग्यारह बजने में दस मिनट थे। पिछले कुछ दिनों से दोनों में बोलचाल लगभग बन्द था। जब बिना बोले काम बिल्कुल