देस बिराना - 27

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देस बिराना किस्त सताइस बाहर अभी भी बर्फ पड़ रही है लेकिन भीतर गुनगुनी गरमी है। मैं गाव तकिये के सहारा लेकर अधलेटा हो गया हूं और संगीत की लहरियों के साथ डूबने उतराने लगा हूं। ब्रांडी भी अपना रंग दिखा रही है। दिमाग में कई तरह के अच्छे बुरे ख्याल आ रहे हैं। खुद पर अफ़सोस भी हो रहा है, लेकिन मैं मालविका जी के शानदार मूड और हम दोनों के जनमदिन के अद्भुत संयोग पर अपने भारी और मनहूस ख्यालों की काली छाया नहीं पड़ने देना चाहता। मुझे भी तो ये शाम अरसे बाद, कितनी तकलीफ़ों के सफ़र