सत्या - 28

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सत्या 28 देश में उन दिनों बेटों की चाहत में बेटियों की भ्रुण-हत्या का दौर था. सविता ने भी कहा था कि उसे बेटा ही चाहिए. उसका कहना था कि एक सुखी परिवार के लिए बेटियाँ ही नहीं क़ाबिल बेटों की भी ज़रूरत है. वह अपने बेटे को एक अच्छा इन्सान बनाना चाहती थी, ताकि वह अपने परिवार और समाज के प्रति अपनी ज़िम्मेदारी ठीक ढंग से निभा सके. वरना बस्ती में तो ज़्यादातर महिलाएँ ही घर संभाल रही थीं. इसके लिए उसने सत्या से आशिर्वाद भी लिया था. सत्या ने आशिर्वाद तो दिया, पर उसके अंदर का दर्द भी