मुझे याद है स्कूल के वे दिन ,जब मैं सुबह सुबह तैयार होकर स्कूल के लिए पैदल निकलता था । सुबह एक कप चाय और रात की बासी रोटी मिलती थी । फिर स्लीपर पहनकर कपड़े के झोले का बस्ता लेकर खाली जेब निकल पड़ता । इस कपड़े के बस्ते में जो घर की पुराने कपड़ो को सिलकर बनाई जाती, जिसमे कुछ किताबें,कम्पास और एक स्याहीवाली पेन होती थी,ये पेन अक्सर लीक करती थी, जिसके कारण शर्ट की सामने वाली जेब स्याही के रंग से रगी होती। ठंड के मौसम में सुबह सुबह उठकर तैयार होना किसी सजा से