नारीयोत्तम नैना भाग-15 सभी रस्सी पर लटक गये। उन्होंने रस्सी पकड़कर धीरे-धीरे आगे की ओर खिसकना आरंभ किया। दलदली भूमि जैसे-तैसे पार हो गयी। पहाड़ पर चढ़ाई के पुर्व ही रात्रि घिर आई। सैनिकों ने टेन्ट आदी की सहायता से खुले स्थान पर तम्बू तान दिये। तिलकरत्ने अट्टपटू ने आग सुलगा कर उपलब्ध खाद्य सामग्री का सेवन करने का निर्देश सैनिकों को दिया। जितेंद्र ठाकुर अधुरे मन से भोजन कर रहे थे। अट्टपटू ने उनके कंधे पर सहानुभूति का हाथ रखते हुये कहा- "सबकुछ ठीक हो जायेगा ठाकुर साहब। आप धैर्य रखे।" जितेंद्र ठाकुर को श्रीलंकाई सैनिकों की बहादुरी देखकर