नफ़ीसा कहानी पंकज सुबीर ‘‘मुँहजलों, खंजीर की औलादों तुम्हारे माँ बापों ने ये ही सिखाया है कि दूसरों के घरों में जाकर चोरियाँ करो’’ आज फिर नफ़ीसा का पारा सातवें आसमान पर है, पूरे मोहल्ले में उसकी तेज़ आवाज़ गूँज रही है । मोहल्ले वालों के लिये ये कोई नई बात नहीं है, हाँ अगर सात आठ दिन तक नहीं सुनने को मिले तो ज़ुरूर लोग हैरान होने लगते हैं, कि नफ़ीसा कहीं चली तो नहीं गई ? लेकिन नफ़ीसा जाएगी कहाँ ? कौन है उसका ? मोहल्ले के लोग नफ़ीसा को, उसकी गालियों को, सबको सहन करते रहते हैं,