कशिश सीमा असीम (7) आ रही हूँ बुआ ! चल रुही अब बाहर चलें बुआ बुला रही हैं ! हाँ चल ! वे दोनों हँसती मुसकुराती बाहर आ गयी ! तुम दोनों तो कहीं मिल जाओ तो तुम दोनों के पास बस बातों के सिवाय कुछ भी नहीं होगा ? बुआ बोली ! अरे बुआ, कितने दिनों बाद तो मिले हैं ! वो तो मिलोगी ही, जब मिलने नहीं आओगी ? आपलोग भी कब से नहीं आए हैं पारुल ने शिकायती लहजे में कहा ! बेटा बुआ से बराबरी न किया कर ! ठीक है बुआ ! अब से कोई