राय साहब की चौथी बेटी - 9

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राय साहब की चौथी बेटी प्रबोध कुमार गोविल 9 कहते हैं कि इंसान जब तक दुनिया में रहता है तब तक वो अपने चेतन जगत में दो जहां बुनता रहता है। एक जहां उसे उसके हाथ की लकीरें दिलवाती हैं और दूसरा उसके जिस्म का पसीना! अम्मा कभी- कभी अकेली बैठी हुई सोचती थीं कि उन्हें "घर" तो हमेशा परोसी हुई थाली की तरह मिले, किन्तु "मकान" को हमेशा उन्होंने अपने हाथ से संवारा। अम्मा शिक्षिका रही थीं। लंबे समय तक उन्होंने लड़कियों को गृह विज्ञान पढ़ाया था। अम्मा लड़कियों से कहती थीं कि ये तुम्हारे हाथ में नहीं है