अनजाने लक्ष्य की यात्रा पे - 11

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अनजाने लक्ष्य की यात्रा पे भाग-11. एक और यात्रा “तो, मत्स्यद्वीप से हमारे द्वीप के लिये वापसी की यात्रा का समय भी शीघ्र ही आ पहुंचा। एक जहाज़ तैयार था। साथ में मल्लाहों की अच्छी खासी संख्या और साथ ही मत्स्यद्वीप के सैनिकों की टुकड़ी भी उपस्थित थी। दानवों जैसे ऊंचे पूरे सैनिक, जिनके गज भर चौड़े कंधे और वृक्ष के तनो जैसी भारी भरकम भुजायें किसी भी शत्रु का दिल दहलाने की क्षमता रखते थे। साथ ही कुछ सहयोगी भी साथ किये गये थे। “इतना सारा ताम झाम किसलिये?” मैंने गेरिक से पूछा; यह बात और