बहीखाता आत्मकथा : देविन्दर कौर अनुवाद : सुभाष नीरव 6 माहौल हमारी गली का माहौल पूरी तरह पंजाबी था। हमारी गली क्या, पूरा मुल्तानी ढांडा ही पंजाबी था। जो हिंदू थे अथवा किसी अन्य कौम के थे, वे भी पंजाबी ही बोलते थे। पंजाबी यूँ बोलते कि मानो पंजाबी में ही सोचते होंगे। कुछ मुल्तानी लोग भी मुहल्ले में रहते थे। असल में, मुल्तानियों के कारण ही इस इलाके का नाम मुल्तानी ढांडा पड़ा हुआ था। वह कुछ भिन्न प्रकार की पंजाबी बोलते। वे जब साधारण बातचीत भी कर रहे होते तो यूँ प्रतीत होता मानो लड़ रहे हों। मुझे