नारीयोत्तम नैना भाग-14 जिससे पण्डित जी को हारकर यहां से लौट जाना पड़ेगा। कुन्दन अपनी आस्तिन चढ़ाकर कुर्सी पर बैठ गया। दोनों में पंजा लड़ाने का खेल आरंभ हुआ। कुन्दन की आंखो में सरलतम खेल की पुर्व विजय देखी जा सकती थी। प. कमल अति सामान्य होकर पंजा लड़ा रहे