"जिंदगी से अक्सर मैं रूठा रूठा सा था, फिर तुम मिली, जैसे जिंदगी के साज एक साथ मिल गए।" अनीश ने रुखसाना कि ओर प्यार भरी नजरों से कहा। रुखसाना का ध्यान अनीश की बातों पर कम और लहरों पर ज्यादा था। लहरें एक एक कर किनारे पर खड़े बड़े-बड़े पत्थरो पर चोट कर रही थी। आज वह यहाँ क्यो है उसे खुद भी नही पता! बात ज्यादा पुरानी नही है जब पहली बार अनीश से मिली थी। अनीश का मजाकिया अंदाज और चुलबुलापन उसे भा गया था। पर रुखसाना के जीवन मे पहले से कोई और ही था। उसकी