नारीयोत्तम नैना भाग-13 पड़ती। जिससे की डकाच्या की वासना को संतृप्त किया जा सके। ऐसा न करने पर मद के नशे में चूर होकर पागल हाथी के समान व्यवहार करने लग जाता। जो अत्यंत भयानक स्थिति के समान होता। मदमस्त होकर डकाच्या हिंसक हो जाया करता था। वह उन्मादी बहुत तोड़-फोड़ और निर्दोष कबीले वालों पर तब कोई काल बनकर टुट पड़ता। कबीले वालों के लिए मद मस्त डकाच्या प्राण घातक सिद्ध होता। अतएव कबीले वाले ऐसी स्थिति निर्मित ही नहीं होने देने का संपूर्ण प्रयास करते। अपनी पत्नी डकाच्या के उपभोग हेतु भेजने का विरोध उसके एक सहयोगी संथाल