सुहागरात

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सुहागरात मीनू का पारा चढ़ा हुआ था| शायद वह कहीं से लड़ कर आई थी| आते ही अंटी ने उसे मुकेश को साथ ले जाने को कहा| दांत पीसते हुए वह मुकेश को पीछे आने का इशारा करके आगे चल पड़ी| वह मुकेश को कमरे में ले जाती है| मुकेश कमरे में आकर बैड पर बैठ जाता है| मीनू कमरे का दरवाजा बंद करते हुए बुडबुडा रही है, “क्या हमारे पास दिल नहीं होता? क्या हम सिर्फ जिस्म हैं? क्यों दुनिया हमें बस हवस मिटाने का साधन समझती है?” “तूने खुद चुना है ये धंधा, फिर शिकवा क्यों?” – रमेश