राज का नशे मे रहने का अब रोज का हो जाता है, ना अपने दोस्त को भी कुछ बताता है, अपने अंदर ही अंदर सब बाते दबा के रखता है, ऑफिस फैक्ट्री सब जगहों पर जाता तो हे पर काम पर ठीक से ध्यान ही नहीं देता, लाख पूछने पर किसीको कुछ नहीं बताता, उसके दिल मे आता तो किसीकी बात का जबाव देता वर्ना सर के इशारे से मुंडी हिला देता. राज का ऎसा बर्ताव सबको खाए जा रहा था, पर कोई कुछ नहीं कर सकता था, उसने अब डायरी को अपनी सारी बाते बताने लगा था, देर रात