इस दश्त में एक शहर था अमिताभ मिश्र (12) कि वो जो शंकरलाल हैं या खप्पू कहलाते हैं वे दरअसल एक व्यक्ति नहीं चलती फिरती एक प्रवृत्ति, आदत, संस्कार कहे जा सकते हैं। वे प्रशासनिक व्यवस्था के सबसे निचले पुर्जे नायब तहसीलदार से पदोन्नत होते हुए सेवानिवृत्त होते होते अपर कलेक्टर तो हो ही गए थे। नायब तहसीलदार से तहसीलदार, तहसीलदार से डिप्टी कलेक्टर यानि एस डी एम और अंततः ए डी एम हो गए थे। वे सरकारी नौकरी में और पारिवारिक कर्तव्यों में और सामाजिक दायित्वों में भी एक जिम्मेदार शख्स रहे। हर कर्तव्य उन्होंने जिम्मेदारी से, निष्ठा से,