देस बिराना - 20

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देस बिराना किस्त बीस इन दिनों खासा परेशान चल रहा हू। न घर पर चैन मिलता है न स्टोर्स में। समझ में नहीं आता, मुझे ये क्या होता जा रहा है। अगर कोई बंबई का कोई पुराना परिचित मुझे देखे तो पहचान ही न पाये, मैं वही अनुशासित और कर्मठ गगनदीप हूं जो अपने सारे काम खुद करता था और कायदे से, सफाई से किया करता था। जब तक बंबई में था, मुझे ज़िंदगी में जरा सी भी अव्यवस्था पसंद नहीं थी और गंदगी से तो जैसे मुझे एलर्जी थी। अब यहां कितना आलसी हो गया हूं। चीजें टलती रहती