4 जनवरी, 2012 "ये वतन! हमारा है!! इस वतन को फिरकापरस्त लोगो ने कब्जाया हुआ है। मुझे अपनी अपनी कुर्बानी दो, इस वतन को जन्नत में बदलने के लिए। हम यहाँ नया जहाँ बनायेगे! तुम्हारी कुर्बानी जाया नही जाएगी। तुम्हे जन्नत में चालीस हूरे मिलेगी! मरने के बाद भी ऐशो आराम की दुनिया मिलेगी।" महमुदुल्लाह इस बार माइक पर जोर जोर से बोल रहा था। अशफाक अपने हमशक्ल भाई खालिद के संग अपने कुछ दोस्तों के साथ पहली बार इस तरह के आयोजन में आये थे। आयोजन पेशावर के सुनहरी मस्जिद स्कूल के पास एक छोटे से मैदान में हो