योगिनी 4 अगले दिन योगासन की अंतिम क्रियाओं- अग्निसार प्राणायाम, भा्रमरी प्राणायाम, एवं शांतिपाठ- से पूर्व स्वामी जी ने मीता को अपने निकट बुला लिया एवं उससे इन क्रियाओं को कराने को कहा। मीता ने न केवल प्रत्येक क्रिया को उत्कृष्टता से करके दिखाया वरन् स्वामी जी की भांति स्पष्टतः से प्रत्येक क्रिया का वर्णन अपने कोकिलकंठी स्वर में किया। मीता के इस असाधरण कौशल की स्वामी जी ने प्रशंसा की एवं सभी साधक अत्यंत प्रभावित हुए- भुवनचंद्र तो मन ही मन ऐसे गद्गद हो रहा था जैसे उस प्रशंसा का केन्द्र विंदु वही हो। भविष्य में स्वामी जी प्रतिदिन