कौन दिलों की जाने! - 17

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कौन दिलों की जाने! सत्रह नियति की विडम्बना! एक दिन पूर्व आलोक और रानी ने प्रभु से प्रार्थना की थी कि उनके जीवन में किसी प्रकार के विषाद के लिये कोई स्थान न हो, उनका प्रेममय सम्बन्ध दुनिया की नज़रों से बचा रहे। दूसरे ही दिन मिस्टर मेहरा और रमेश की मुलाकात हुई। इस मुलाकात ने आलोक और रानी की प्रभु से की गई प्रार्थना को न केवल विफल कर दिया, वरन्‌ रमेश के मन—मस्तिष्क में आलोक और रानी के सम्बन्धों को लेकर चल रहे झंझावात को और उग्र कर दिया। आलोक और रानी ने कामना तो की थी खुशियों