दो बाल्टी पानी - 4

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कहानी के पिछले भाग में आपने पढ़ा मिश्राइन ठकुराइन और वर्माइन कैसे अपने दिन की शुरुआत करते हैं और नोकझोंक और प्यार से उनकी जिंदगी बड़े आराम से कट रही है, बस किल्लत होती है तो पानी की और गुप्ताइन के चाल ढाल और रुतबे से सबको चिढ़न होती है |अब आगे… "अजी सुनते हो… कितनी देर हो गई? क्या करते रहते हो अंदर? अब निकलो भी, हमें ड्यूटी पर जाने की देरी हो रही है, अरे क्या बड़बड़ करते हो? सुबह-सुबह अपनी ये रामकहानी हमारे जाने के बाद गाया करो, हमें रोज लेट हो जाता है" | ये कहकर गुप्ताइन अपने