संबल

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संबल “मम्मी, मुझे नहीं जाना खेलने| मैं नहीं जाऊँगी|” – सुनीता ने रुआँसी-सी होते हुए अपनी माँ से कहा| “तो अपने पिता जी से कह| मुझे नहीं पड़ना तुम्हारे झमेले में|” – कोमल ने कहा| “मुझे पापा से डर लगता है| आप ही बात करो न प्लीज|” – सुनीता ने मिन्नत करते हुए कहा| “चल देखती हूँ| एक बार तू स्कूल का होमवर्क तो कर|” – कोमल ने पीछा छुड़ाते हुए कहा| सुनीता का चयन राज्य स्तरीय खेलों में हुआ था| वह शुरू से ही बहुत फुर्तीली थी| स्कूल वालों ने उसकी प्रतिभा को पहचाना और खेलों में डाल दिया|