प्रिय क्षितिज, असीम स्नेहाशीष तुम अवश्य ही आश्चर्यचकित हो रहे हो कि अभी हमारे साथ जन्मदिन का केक काटकर गये हो और मोबाइल क्रांति के इस दौर में जब मीलों दूर रहकर भी एक नजदीकी का अहसास हर पल रहता है तो मैंने यह पत्र क्यों लिखा है? बेटा! कुछ बातें हम रूबरू नहीं कह पाते और न ही मोबाइल के द्वारा सम्प्रेषित कर पाते हैं। पत्र एक ऐसा माध्यम है कि हम सोच समझ कर अपनी