भटके हुये लोग

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भटके हुये लोग “अब क्या खून पियेगा मेरा ? शरीर मे दूध बचा हो तो तुझे पिलाऊ ? जा, मर जा जाकर कही।” “अरे कोसती क्यों है, बच्चा ही तो है, उसे क्या पाता कि तेरे शरीर में दूध बचा है या नहीं आपको तो पता है ? तीन दिन से कुछ भी नहीं खाया.... कुछ खाऊॅ तो दूध उतरे........।“ सरस्वती बहु की बातंे सुनकर चुप हो गई। एक नीम खामोषी कमरे में बदबूदार हवा की तरह फैल गई जिसने सरस्वती का मन कड़वाहट से भर दिया। एक बार को तो सरस्वती ने खिड़की खोलकर सड़क पर झांकने की सोची,