शौर्य गाथाएँ - 14

  • 6.3k
  • 2k

शौर्य गाथाएँ शशि पाधा (14) संकल्प और साहस की प्रतिमूर्ति ( मेजर विवेक बंडराल, सेना मेडल ) सर्दी का हल्का सा आभास दिला रही थी वो सुबह| हम कुछ सप्ताह के लिए अपने छोटे बेटे आदित्य के पास रहने वाशिंगटन डी सी आए हुए थे| इतने वर्ष अमेरिका में रहने के बाद भी मेरा बेटा बिलकुल नहीं बदला था| रात देर तक जागना; घंटों ऊँची आवाज़ में संगीत सुनना, सुबह कई बार अलार्म को बंद करके रजाई में मुँह छिपाना और ऑफिस जाने की जल्दी में सुबह के नाश्ते के लिए ना-नुकर करना| मैंने उस दिन उसके उठने से पहले