एक जिंदगी - दो चाहतें - 37

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एक जिंदगी - दो चाहतें विनीता राहुरीकर अध्याय-37 अभी तीन दिन ही शांती से बीते होंगे कि एक दिन सुबह-सुबह फिर खबर आयी। पास के एक गाँव का कोई आदमी था। उसने अपना नाम जमील बताया और कहा कि उसके घर पर मिलिटेंट्स ने कब्जा करके रखा है। परम को यह भी भ्रमित करने वाली सूचना लगी। भला जिसके घर पर मिलिटेंट्स घुसे हुए हैं वह बाहर आकर आर्मी ऑफिस में फोन कैसे कर रहा है। तब उस व्यक्ति जिसका नाम जमील था, ने बताया कि वे लोग तो कई दिनों से उसके घर पर हैं। उसकी तीन बेटियाँ हैं।