योगिनी 3 मीता दिन में अपनी दीदी के साथ घर के काम में हाथ बंटाती रही, परंतु दोपहर के भोजन के उपरांत विश्राम के दौरान मीता को भुवनचंद्र के साथ मंदिर जाने की बात याद आने लगी। उसने दीदी से इस विषय में कुछ भी नही कहा- पता नहीं कौन सा चोर उसके मन में प्रवेश कर गया था? बस छः बजने से दस मिनट पूर्व बोली, ‘दीदी! मै घूमने जा रही हूं।’ दीदी उसके इस घूमने के स्वभाव से परिचित थीं। उन्होने बस इतना कहा, ‘ठीक है, परंतु अंधेरा होने से पहले ही लौट आना।‘ मीता जब धर से