नीडी

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“ नीडी ““आप, यहाँ ?”नीरू दी को अकस्मात अपने गाँव में देखकर वो विस्मित हो उठे । नीरू दी ने दृष्टि उठाई तो प्रश्न कर्ता को क्षण भर में पहचान कर बस देखती ही रह गईं, उनकी खुद की स्थिति भी प्रश्न कर्ता की तरह ही हो गई । उन्हें भी सहसा अपनी आँखों पर विश्वास नहीं हुआ , कि इतने बरसों का खोया हुआ धैर्य आखिर यहाँ इस गाँव में कैसे मिल गया । कुछ देर तक दोनों के मध्य एक विचित्र सी, सुखद सी ,