योगिनी 2 भुवन पुनः मीता की स्वीकृति मानते हुए नीचे स्थित भवन की ओर चल दिया और मीता उसके पीछे हो ली। मुख्य द्वार पर भुवनचंद्र ने जूते उतारे और उसे देखकर मीता ने भी चप्पल उतार दी। ‘ओउम् मित्राय नमः’- द्वार से अंदर जाने पर मीता ने देखा कि एक बडे़ से हाल में एक वयोवृद्व स्वामी जी सूर्य नमस्कार कर रहे थे एवं उनके सामने दस-ग्यारह साधक/साधिकायें उनका अनुसरण कर रहे थे। उन्हीं का समवेत स्वर मीता को सुनाई दिया था। पूरे हाल में दरी बिछी हुई थी और भुवनचंद्र एवं उसके निकट मीता भी दरी पर खडे़