औघड़ का दान प्रदीप श्रीवास्तव भाग-8 बहू की बातों से सोफी को यकीन हो गया कि उसकी पूजा में सहवास कहीं शामिल नहीं था। क्यों कि उसकी समस्या में संतान कहीं शामिल नहीं थी। घुल-मिल जाने के बाद दोनों की बातें करीब डेढ़ घंटे बाद जाम खुल जाने तक चलती रहीं। वहां से चलने के बाद बहू की बातें सोफी के मन में उथल-पुथल मचाने लगीं कि यह औरत कितने तूफानों को अपने में समेटे हुए है। कितनी बड़ी-बड़ी व्यथाएं लिए जिए जा रही है इस दृढ़ विश्वास के साथ कि एक दिन उसका भी समय आएगा। वाकई बड़ी हिम्मत