नियति

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हरफनमौला निर्मिति हर महफ़िल की जान हुआ करती थीं । शादी-ब्याह हो या कोई पार्टी, रौनक तो निर्मिति के आने के बाद ही आती थी। गाना-बजाना हो, शॉपिंग हो, मेहमानों की खातिरदारी या लेनदेन का मामला, उनके पास हर चीज का अच्छा खासा अनुभव था । छोटे से लेकर बड़े, सभी उनका बहुत मान करते थे । पर पति के स्वर्गवास के बाद उनमें बहुत फर्क आ गया था। वे काफी चुप सी रहने लगीं थीं। घरवालों ने उनके कमरे में हर सुख – सुविधा का इंतज़ाम कर दिया था । उन्हें किसी तरह की परेशानी न हो इसके लिए