एक जिंदगी - दो चाहतें - 35

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एक जिंदगी - दो चाहतें विनीता राहुरीकर अध्याय-35 तीन दिन अपनी माँ के यहाँ रहकर तनु चौथे दिन सुबह अपने घर वापस आ गयी। शारदा ने उसके साथ रहने के लिए अपनी एक बहुत पुरानी और विश्वसनीय नौकरानी जो बरसों से उनके यहाँ काम कर रही थी दयाबेन को भेज दिया। ऊपर के एक खाली कमरे मे तनु ने दयाबेन का सामान रखवा दिया। दयाबेन विधवा थी। बेटी-दामाद सूरत में रहते थे और बेटा-बहू राजकोट में। दयाबेन स्वस्थ, हट्टीकट्टी, और बहुत अच्छे स्वभाव की महिला थी। बरसों से शारदा की गृहस्थी में ही रही थी। तनु को बचपन से ही