गुनहगार “नहीं, नहीं ! मैंने कुछ नहीं किया|” “कुछ नहीं किया? अरे, तूने तो सरेआम कत्ल किया है नैतिकता का| ” “लेकिन वो मेरी मजबूरी थी|” “मजबूरी? कैसी मजबूरी?” “वहाँ नैतिकता का पालन करना मेरे चरित्र और करियर दोनों के लिए घातक सिद्ध हो सकता था|” “तुम्हारे चरित्र और करियर के लिए?” “हाँ, मेरे चरित्र और करियर के लिए|” “वो कैसे?” “यह समाज भले ही पुरुष प्रधान कहलाता हो, लेकिन आज के दौर में पुरुषों को औरतों से बचकर रहना पड़ता है| जब हालात इतने नाजुक हों, तब मेरा उस लड़की के पास रुकना, उसे लिफ्ट देना, खतरे से खाली